बिहार में नगर निकाय चुनाव पर लगी रोक, पूरी खबर विस्तार से।

Bihar Rajaniti

बिहार में स्थानीय निकाय के चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई हैं। जी हां बताते चलें कि पटना हाइकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने के मामले में अपना फैसला सुनाया हैं। बिहार में दो चरणों में नगर निकाय के चुनाव को लेकर आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को वोटिंग की तिथि निर्धारित की हैं। लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले से फिलहाल चुनाव टलता दिख रहा हैं। हाईकोर्ट ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगाने के आदेश दिए हैं।

पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से चुनाव की तारीखें बढ़ सकती हैं। जहां बिहार में पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर को होना हैं। पटना हाईकोर्ट के एक फैसले ने राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव पर लगभग ग्रहण लगा दिया है। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बिहार में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ वाली याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाया। अदालत ने इस केस में फैसला देते हुए कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर मतदान की तारीख आगे बढ़ाना चाहते हों, तो बढ़ा सकते हैं।

पटना हाईकोर्ट में मंगलवार को इस केस में चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया। मालूम हो कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर जबकि मतगणना 12 अक्टूबर को और दूसरे चरण की वोटिंग 20 अक्टूबर जबकि मतगणना 22 अक्टूबर को प्रस्तावित हैं। लेकिन कोर्ट के आदेश से अब इस प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को आरक्षण से जुड़े इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था‌। बता दें कि आरक्षण रोस्टर के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। हाईकोर्ट बेंच ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश दिया था उसका बिहार में पालन नहीं किया गया।

कोर्ट के मुताबिक राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के ईबीसी को आरक्षण दे दिया, जबकि आरक्षण देने के पहले राजनीति पिछड़ेपन वाली जातियों को चिन्हित किया जाना था। राज्य निर्वाचन आयोग से कहा गया कि वह मतदान की तारीख आगे बढ़ाना चाहे, तो बढ़ा सकता हैं।

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