जर्मनी की लड़की और बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले चैतन्य की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प हैं। बताते चलें कि दूल्हे मियां सहरसा जिले के पटुआहा गांव के रहने वाले हैं वहीं दुल्हन जर्मनी की रहने वाली हैं। इन दोनों की मुलाकात दोस्ती और फिर प्यार की शुरुआत पढ़ाई के दौरान हुई। ये दोनों जर्मनी में पीएचडी कर रहे हैं। दूल्हे राजा चैतन्य की पढ़ाई-लिखाई सहरसा में ही हुई हैं। शिलांग से बीटेक और बेल्जियम से एमएस की डिग्री ली हैं। इसके बाद पीएचडी करने जर्मनी चले गए।

इसी दौरान जर्मनी में मार्था जो पीएचडी कर रही हैं उससे दोस्ती हुई। चैतन्य को पढ़ाई के दौरान ही लड़की वाले यानि मार्था के परिवार की तरफ से शादी का प्रस्ताव आया। शादी के लिए लड़की ने खुद पहल की, जहां पहले अपने परिवार को रिश्ते के बारे में बताया। मार्था के परिजन इस रिश्ते के लिए मान गए। वहीं फिर मार्था ने चैतन्य से उसके परिवार की रजामंदी जाननी चाही। चैतन्य ने अपने परिवार से बात की, जिसे परिवार ने स्वीकृति दे दी। दोनों परिवारों को इस रिश्ते पर आपत्ति नहीं थी।

परिवार वालों की स्वीकृति मिलने के उपरांत मार्था अपनी मां और बहन के साथ भारत आई, और हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने का फैसला लिया। 30 नवंबर को मिथिला की परंपरा के अनुसार शादी हुई, जिसमें सिंदूरदान समेत सभी रस्मों को मार्था ने बड़ी शालीनता से निभाया। वहीं शादी की रस्मों के दौरान मां और बहन ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई।

मार्था लाल रंग के जोड़े में सजी बेहद खुबसूरत दुल्हन बनी थी। शादी की रस्मों में कभी अपने पति चैतन्य को प्यार से देखती नजर आई, तो कभी अपनी मां-बहन पर जमकर प्यार लुटाया। बता दें कि मार्था की मां ने सिंदूरदान की रस्म अदायगी की। इतना ही नहीं मार्था यहां के रीति-रिवाजों को भी जान रही हैं वहीं साथ-साथ हिंदी भी सीख रही हैं। मार्था जल्द ही हिंदी सीख लेगी, इसको लेकर उन्होंने वादा भी किया हैं। मार्था कई भाषाओं की जानकार भी हैं। चैतन्य झा और मार्था की प्रेम कहानी और फिर शादी काफी सुर्खियां बटोर रहीं हैं। ये केवल कहानी नहीं बल्कि किसी फिल्म के लवस्टोरी की तरह हैं।
