नहाय-खाय के साथ ही शुरू हुआ आज से चैती छठ, जाने चैती छठ पूजा की विधि-विधान एवं महत्व।

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नहाय-खाय के साथ ही आज से चैती छठ पूजा की शुरुआत हो गई हैं। चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व को लेकर व्रती तैयारियों में जुट गए हैं। मालूम हो कि साल का दो प्रमुख पर्व चैती छठ और कार्तिक छठ पूजा माना जाता हैं। जहां कार्तिक महीने में होने वाले छठ पूजा के साथ ही ठंड दस्तक दे देती हैं, वहीं चैती छठ के साथ गर्मी यानी ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव बढ़ जाता हैं। यूं तो कार्तिक मास में होने वाले छठ पूजा को अधिक लोग करते हैं, लेकिन चैत मास में होने वाले छठ पूजा का अपना विशेष महत्व हैं।

भगवान राम ने चैती छठ पूजा की थी शुरुआत

25 मार्च को नहाय-खाय के साथ ही चैती छठ पूजा की शुरुआत हो गई हैं। चार दिन तक चलने वाली छठ पूजा का समापन 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाएगा। बता दें कि इस बार चैती छठ पूजा पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व बढ़ गया हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान राम ने चैती छठ के पर्व की शुरुआत की थी।

इस दिन छठ पूजा का समापन

चैती छठ पूजा की सबसे खास बात यह हैं कि इस दौरान नवरात्रि का पर्व और व्रत भी चल रहा होता हैं। चैती छठ की शुरुआत चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ होती हैं। इस बार चैती छठ नहाय-खाय 25 मार्च को हैं, 26 मार्च को छठ व्रती खरना करेंगे और 27 मार्च को छठ पर्व सांध्यकालीन अर्घ्य तथा 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाएगा।

चैती छठ पूजा का महत्व

चैती छठ पूजा के महत्व के बारे में जानकारी देते चले कि इसे नवरात्रि के छठे दिन मनाते हैं। इसी दिन देवी के छठे रूप देवी कात्यायनी की पूजा होती हैं। खरना के दिन कुमार कार्तिकेय की माता देवी स्कंदमाता की पूजा होती हैं। चैती नवरात्रि के दौरान जो श्रद्धालु चैती छठ का व्रत करते हैं उन्हें छठी मैया के साथ देवी स्कंदमाता, कूष्मांडा और कात्यायनी देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। माना जाता है कि इस व्रत से बल, आरोग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।

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