देश के चुनिंदा रजवाड़ों में शामिल दरभंगा महाराज अपने शानोशौकत के लिए मशहूर, आज 116वां जन्मदिवस।

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दरभंगा महाराज का आज 116वां जन्मदिवस मनाया जा रहा हैं। बताते चलें कि दरभंगा महाराज अपनी दरियादिली के लिए मशहूर थे। अंग्रेजो के हुकूमत के समय सन् 1907 में महाराजा का जन्म दरभंगा में 28 नवंबर को हुआ था। कल्याणी फाउंडेशन के द्वारा कल्याणी निवास में महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह का जन्मदिवस मनाया जा रहा हैं, वहीं आज इस मौके पर महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह स्मृति व्याख्यान आयोजित भी किया जाएगा। इस स्मृति व्याख्यान में इतिहासकार पद्मश्री प्रोफेसर शेखर पाठक होंगे जो चिपको आंदोलन में सक्रिय थे और हिमालय पर भी शोध किया हैं।

दरभंगा महाराज यूं तो हर क्षेत्र में बढ़ चढ़कर कार्य किया करते थे। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उनका अमूल्य योगदान रहा। जहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अपने अस्थापना के सबसे बड़े गैरमुस्लिम दानवीर दरभंगा महाराज का नाम आज भी याद करता होगा, वहीं बीएचयू बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को बनाने में कुल एक करोड़ रुपए की लागत में 50 लाख दरभंगा महाराज लक्ष्मेश्र्वर सिंह ने दिए थे। दरभंगा महाराज को अग्रणी सोच का वाहक माना जाता था। जिसमें शिक्षा से लेकर रेलवे की बात हो या फिर हवाई जहाज की, सारी सुविधाएं दरभंगा महाराज के यहां उपलब्ध थी।

दरभंगा महाराज शिक्षा जगत के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। रोजगार सृजन करने में माहिर थे और इसके लिए अपनी राजधानी के बीचों बीच 250 एकड़ जमीन पर अस्पताल बनवा दिया। उस समय में रेलवे, बिजली जैसी चीजें दिल्ली के साथ दरभंगा भी आई थी। दरभंगा महाराज के महल की सजावट का प्रमाण आज भी दीवारों पर लगे टाइल्स से पता चलता हैं। ये टाइल्स मेड इन लंदन की लगी हुई हैं। दरभंगा महाराज हिंदी में आर्य भारत, इंग्लिश में इंडियन नेशन और मैथिली में मिथिला मिहिर नाम से अखबार चलाया करते थे।

दरभंगा महाराज अपनी दानशीलता को लेकर पूरे देश में मशहूर थे। इतना ही नहीं अगर राजा-रजवाड़े की बात हो तो महाराज अपनी शानशौकत में सबसे आगे रहते थे। उस जमाने में भी दिल्ली के बराबर दरभंगा में सारी व्यवस्थाएं की। इतिहासकारों का मानना हैं कि उस समय में दरभंगा महाराज की गिनती देश के चुनिंदा रजवाड़ों में होती थी।

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