वैसे ये सुनने में आपको अटपटा लगे, लेकिन ये सच हैं जनाब। हम बात कर रहे हैं दरभंगा एयरपोर्ट की, जो हर दिन किसी ना किसी वजह से चर्चा में बना रहता हैं। आगे बताते चलें कि दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई सेवा चालू होने के इतने दिनों बाद भी अब तक रनवे को सुरक्षित नहीं किया जा सका हैं। वजह सामने हैं कि एयरपोर्ट के रनवे परिसर से जानवरों को हटाने की सरकारी कवायद आधा-अधूरा ही साबित हुआ हैं। इतने सालों में परिसर से जानवरों को हटाने की प्रक्रिया लंबित हैं कि नीलगाय और सुअर कभी भी खतरे का वाहक हो सकते हैं।
चेन लिंक फेंसिंग का काम पूरा

मालूम हो कि कोलकाता के विशेषज्ञ टीम से वन-विभाग के स्तर पर सर्वेक्षण कराया जा चुका हैं। जिसके तहत इन जानवरों को पकड़ने के जरूरी मशीन वन विभाग की तरफ से उपलब्ध कराया जाना हैं। लेकिन ये अब तक नहीं हुआ हैं। वहीं दूसरी ओर दरभंगा एयरपोर्ट पर चेन लिंक फेंसिंग के निर्माण का काम पूरा हो चुका हैं, परंतु रनवे से सटे एयरपोर्ट परिसर से नीलगाय और सुअर को हटाने का काम वन विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा हैं।
जानवरों को हटाने की प्रक्रिया लंबित

जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में एयरपोर्ट परिसर से जानवरों को हटाने में महारत हासिल करने वाली कोलकाता की टीम ने विशेषज्ञ के नेतृत्व में सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया हैं। जिसमें जानवरों को हटाने के लिए वोमा तकनीक का इस्तेमाल किया जाना हैं। इसको लेकर इनक्लोजर निर्माण के लिए जरूरी प्लास्टिक शीट, पाइप समेत अन्य सामान की जरूरत हैं। वहीं जानवरों के हमले से बचने और उनको हटाने के लिए लोहे का पिंजरा बनाया जाना हैं, इसके लिए लोहे की जाली समेत अन्य कई जरूरी सामान वन विभाग द्वारा मुहैया कराई जाने की बात सामने आ रही हैं।
यात्रियों के मामले में अधिक विकास पीछे

दरभंगा एयरपोर्ट यात्रियों के मामले में अधिक वहीं विकास के मामले में काफी पीछे हैं। एयरपोर्ट के विकास और विस्तार की प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं। जहां कभी मौसम को लेकर या फिर बारिश को लेकर आ रही रूकावट बताया जाता हैं।