कहते हैं कि इंसान कभी इतना बेबस और लाचार हो जाता हैं कि उन्हें कुछ सूझता ही नहीं क्या करें ना करें। और अगर बात पैसे की हो तो बड़ी मुश्किल हो जाती हैं। दरभंगा में प्राइवेट हॉस्पिटल में अपने नवजात बच्ची का इलाज करा रहे मां-बाप बिल ना चुकाने की स्थिति में बच्ची को अस्पताल में छोड़कर चले गए। बच्ची को किसी खुशी या कोई और मंशा से नहीं बल्कि हॉस्पिटल का मंहगा बिल चुकाने में असमर्थ माता-पिता को मजबूरन छोड़ना पड़ा।

अब सवाल उठता हैं कि क्या गरीब और असहाय लोग इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल का रूख ना करें। हॉस्पिटल का मंहगा खर्च इलाज में बाधा बन जाता हैं। मधुबनी जिले के लौकही थाना क्षेत्र के छातापुर गांव के रहने वाले दंपत्ति अपने नवजात शिशु का इलाज दरभंगा शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल में करा रहे थे। बच्ची के इलाज का बिल अस्पताल द्वारा पौने दो लाख रुपए का बना था, जिसमें दंपत्ति ने 70 हजार रुपए चुका दिए थे लेकिन बाकी पैसा देने में सक्षम नहीं थे।

अस्पताल का बिल चुका पाने में असमर्थ गरीब दंपत्ति अपने नवजात बच्ची को अस्पताल में छोड़कर निकल गये। मां की ममता और अपनी नवजात बच्ची को छोड़ना कितना मुश्किल रहा होगा, ये उस मां का दिल ही जानता होगा। लेकिन गरीबी और पैसे की लाचारी ने बच्चे को छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया। गरीबी और पैसे की तंगी मां और बच्ची को जुदा करने की वजह बन गई।

बताते चलें कि दंपत्ति द्वारा अपने नवजात शिशु को छोड़ने की जानकारी जब अस्पताल प्रशासन को लगी, तो इसकी सूचना तुरंत बाल कल्याण विभाग के अध्यक्ष को दी। जहां फिर बाल कल्याण विभाग के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार झा बच्ची के माता-पिता और अस्पताल के बीच की एक डोर बनकर सामने आए और उन्होंने दरभंगा और मधुबनी जिले के चाइल्ड लाइन से संपर्क किया। पीड़ित परिवार से बातचीत कर दरभंगा बुलाया गया और अस्पताल के सारे बिल माफ कराए गए। बाल कल्याण समिति के हस्तक्षेप से इस मामले को सुलझाया गया, और नवजात को माता-पिता के हाथ सौंप दिया गया।
