बेंगलुरू से दरभंगा आ रही फ्लाइट हवा में लटकी, यात्रियों की जान आफत में।

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दरभंगा एयरपोर्ट के लिए सोमवार का दिन बढ़िया नहीं रहा। कारण बताते चलें कि बेंगलुरु से दरभंगा के उड़ान भरी विमान-एसजी 493 ने दोपहर 12.50 में टेक ऑफ तथा दरभंगा में लैंड होने का समय 03.30 था। लेकिन बेंगलुरू से दरभंगा के लिए फ्लाइट 01 बजकर 30 मिनट पर उड़ान भरी। फ्लाइट में सवार यात्री आराम से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए आश्वस्त थे। इसी बीच फ्लाइट हवा में हिचकोले खाने लगा, जिसे देख यात्रियों की सांस अटक गई।

कई यात्रियों को आई चोट

यात्रियों को पायलट द्वारा विमान के टर्बुलेंस जोन में फ्लाइट के प्रवेश की सूचना देने के साथ सुरक्षा संबंधी निर्देश भी जारी किए गए। सुरक्षा को लेकर दिए जा रहे निर्देश में सीट बेल्ट बांधने तथा शौचालय का प्रयोग ना करने का गुजारिश किया गया। यात्री इसको लेकर कुछ समझ या संभल पाते कि तब तक फ्लाइट में झटका महसूस होने लगा। यात्रियों को ऐसा लगा जैसे नीचे-ऊपर फ्लाइट झूलने लगा हैं। फ्लाइट में ये स्थिति लगभग दो मिनट तक बनी रही, इस दौरान कई यात्रियों को चोटें भी आई।

दरभंगा में लैंड के समय मौसम खराब

फ्लाइट में सुरक्षा संबंधी जारी दिशा-निर्देश से पहले एक यात्री शौचालय में प्रवेश कर चुके थे। जिसे एयर होस्टेस ने बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। लेकिन तब तक फ्लाइट हवा में झूलने लगी थी। जिसकी वजह से यात्री गिर गया, और चोट लग गई। कुछ यात्रियों को हाथ में चोट आने पर क्रैप बैंडेज बांधा गया, तथा हल्की चोट लगने वाले को दवा दी गई। इतना ही दरभंगा में फ्लाइट लैंड करने के समय मौसम काफी खराब हो गई।

यात्रियों की निकली चीख

मौसम अनुकूल नहीं होने की वजह से फ्लाइट दरभंगा एयरपोर्ट पर लैंड नहीं हो पा रहा था। फ्लाइट इस दौरान हवा में चक्कर काट रहा था। आखिरकार काफी कोशिशों के बाद फ्लाइट 45 मिनट बाद दरभंगा एयरपोर्ट के रनवे पर उतारा जा सका, वहां भी फ्लाइट उतारते वक्त बहुत तेज आवाज गूंजी। जिसे सुन यात्रियों की चीख निकल गई। फ्लाइट रूकने के बाद यात्रियों की जान में जान आई और सबने राहत की सांस ली।

क्या होता है टर्बुलेंस

विमान के उड़ते समय जब उसके पंखों से हवा जब अनियंत्रित होकर टकराती है तो विमान में एयर टर्बुलेंस उत्पन्न होता है। इससे विमान ऊपर-नीचे होने लगता है और यात्रियों को झटके लगने शुरू हो जाते हैं। उड़ते हुए विमानों को कम के कम सात तरह के टर्बुलेंस का सामना करना पड़ता है। टर्बुलेंस मौसम से जुड़ा भी हो सकता है। आसमान में बिजली कड़कने और भारी बादल होने के समय विमान में टर्बुलेंस पैदा होता है।

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