आपसी प्रेम और समर्पण का महापर्व करवा चौथ के दिन बिना कुछ खाए-पीए निर्जला व्रत रखने का महत्व होता है। सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु, सुखी जीवन, सौभाग्य और समृद्धि की कामना के लिए दिनभर उपवास रखते हुए रात के समय चंद्रमा के दर्शन कर व्रत तोड़ती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। यह सुहागिनों के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। सुहागिनों के लिए करवा चौथ व्रत का इंतजार सालभर रहता है। जिसमें महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करके पूरे दिन बिना पानी पीए रहती हैं। शाम को माता करवा की पूजा और कथा सुनती हैं फिर रात को चांद के निकलने पर अर्ध्य देते हुए पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।

वहीं अगर करवा चौथ के दिन अगर बाहर में रहना पड़े, तो कैसे मनाया जाए। इसका भी जोड़ महिलाओं ने निकाल लिया हैं। दरअसल दरभंगा से 10 अक्टूबर को खुली स्वदेश दर्शन यात्रा स्पेशल ट्रेन में महिलाओं ने धूमधाम से करवाचौथ का व्रत मनाया। गुरूवार को उज्जैन से सोमनाथ के बीच चलती ट्रेन में सुहागिनों ने करवाचौथ का व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की।

इस दौरान सुहागिन महिलाओं ने चलती ट्रेन में हीं चांद को अर्घ्य दिया। बता दें कि दरभंगा से खुली स्वदेश दर्शन यात्रा स्पेशल ट्रेन 10 अक्टूबर को खुली, जो तीर्थ यात्रियों को उज्जैन, द्वारका, सोमनाथ, शिर्डी एवं नासिक का दर्शन कराते हुए 20 अक्टूबर को वापस दरभंगा लौटेगी।

इस बीच ट्रेन में सफर कर रही महिला तीर्थ यात्रियों में करवाचौथ व्रत को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। ट्रेन में भी सुहागिनों ने पूरी आस्था के साथ इस व्रत को रखा, और चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला।