LNMU दरभंगा में बड़ा गोरखधंधा, कोर्स के नाम पर छात्रों से मोटी वसूली।

Bihar Darbhanga

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के लिए हमेशा किसी ना किसी कारनामें की वजह से सुर्ख़ियों में रहना आम बात हो चला है। कभी छात्रों के रिजल्ट का मामला हो या फिर कोई और कारण चर्चा में बने रहना इस विश्वविद्यालय के लिए नयी बात नहीं हैं। इसे लेकर समय-समय पर जो खबरें मिलती रहती हैं, उससे लोग हैरत ही नहीं बल्कि अचंभित और भौंचक्के रह जाते हैं। इसी मामले में छात्रों से नामांकन शुल्क के नाम पर अधिक रकम वसूली का नया मामला सामने आ रहा हैं।

बताते चलें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा संचालित पत्रकारिता डिप्लोमा कोर्स जो कि एक वर्षीय कोर्स हैं, इस कोर्स के लिए छात्रों से नामांकन शुल्क के नाम पर बढ़ा-चढ़ा कर राशि वसूली जा रही हैं। वहीं सीएम कॉलेज में इसी कोर्स के लिए छात्रों से नामांकन शुल्क विश्वविद्यालय से काफी कम रखा गया है। अब सवाल ये उठता हैं कि एक ही कोर्स, एक ही परीक्षा और एक ही डिग्री तो फीस में असमानता क्यूं। मजे की बात यह है की एक जैसे ही कोर्स के लिए जहां सीएम कॉलेज के छात्रो के लिए कोर्स फी के तौर पर छात्रो के लिए 6000 का शुल्क तय किया गया हैं, वही विश्वविद्यालय के छात्रों से 16000 की मोटी राशि वसूल की जा रही हैं।

इसी को लेकर पत्रकारिता हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं ने नामांकन शुल्क में कटौती की मांग करनी शुरू कर दी हैं। पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं द्वारा विरोध जताया जाने लगा हैं। सोमवार को विभाग के छात्रों ने नामांकन शुल्क में छूट को लेकर कुलपति को ज्ञापन सौंपा और मुलाकात में इस मुद्दे को उठाया। लेकिन कुलपति ने यह कहकर मुद्दे को टाल दिया कि यह शुल्क पहले से निर्धारित हैं, इसका कुछ हल नहीं निकाला जा सकता। छात्र इस मामले को लेकर इधर से उधर दौड़ लगाते रहे, लेकिन कुछ हल नहीं निकला।

छात्रों का कहना हैं की विेश्वविद्यालय के अधीन आने वाले कॉलेज में जहां एक ही कोर्स के लिए शुल्क काफी कम है, तो किस तुगलकी फरमान के तहत हिंदी विभाग के छात्रों से विश्वविद्यालय द्वारा मोटी रकम वसूल की जा रही है। पूरे क्रम मे छात्र खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं साथ ही आक्रोशित भी हैं। छात्रों का कहना हैं कि इस कोर्स में साल भर पढ़ाई के नाम पर बस खानापूर्ति किया गया, वहीं अब पैसों के नाम पर भी लूट-खसोट किया जा रहा है। अब पूरे प्रकरण में छात्रों का कैरियर दांव पर लगा हैं। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन के टाल-मटोल वाले रवैये के कारण छात्रो मे अनिश्चिता बनी हुई है। छात्रों का कहना हैं कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय रहते अगर इस मामले का कोई हल नहीं निकाला तो मजबूरन उन्हें अन्य रवैया इख्तियार करना पड़ेगा।

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