मिथिला के लोगों द्वारा की जा रही लंबे समय से बहुप्रतीक्षित मांग अब जाकर पूरी हुई हैं। मिथिला के मखान को नई पहचान मिल गई हैं। केंद्र सरकार ने मिथिला के मखाना को जीआई टैग दे दिया हैं। मिथिला के लोगों द्वारा काफी लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग की जा रही थी। मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग लंबे संघर्ष के बाद मिला हैं। यूं तो मिथिला की पहचान अलग-अलग नामों से हैं, पर अब इनमें मखाना का अपना एक अलग विशिष्ट स्थान हो गया हैं।
मखाना की देश-विदेश के बाजारों में मांग

मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से मिथिलांचल में हर्ष की लहर दौड़ गई हैं। केंद्र सरकार के वाणिज्य व उधोग मंत्री पीयूष गोयल ने मिथिला मखाना को जीआई टैग से सम्मानित करने की सूचना ट्विटर के माध्यम से दी। मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद अब मखाना उत्पादकों और उनके उत्पाद को बेहतर दाम मिल सकेगा। मालूम हो कि मिथिला का मखाना अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात हैं। जानकारी के लिए बता दें कि भारत के 90 फीसदी मखानों का उत्पादन बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में होती हैं। जिसकी देश और विदेश तक के बाजार में काफी डिमांड हैं।
बदलते दौर के साथ अब खेतों में मखाना की खेती

कोरोना काल में जब संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, उसी समय से मखाना खाने का चलन बढ़ा। देश जब कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तो डॉक्टरों ने लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मखाना खाने की सलाह दी। जिसके बाद देश और विदेश में मखाना की मांग अचानक से बढ़ गई थी। मखाना का उत्पादन पहले काफी कठिन था, लेकिन बदलते दौर के साथ किसानों ने इसमें काफी बदलाव किया हैं। गहरे तालाब में उपजने वाला मखाना को खेतों में भी उपजाया जाने लगा हैं।
मखाना की खासियत

मखाना की लगभग 90 फीसदी खेती मिथिलांचल क्षेत्र में होती हैं। मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट काफी भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसका उपयोग लोग खाने में मिठाई, नमकीन और खीर बनाने में करते हैं। इसे कई और तरीके से भी खाया जाता हैं। मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से मिथिला क्षेत्र के मखाना उत्पादकों और व्यवसायियों को काफी फायदा होगा।