मिथिलांचल का प्रसिद्ध चौठचंद्र पुजा आज, तैयारी जोर-शोर से।

Bihar

मिथिलांचल में आज चौठचंद्र पुजा को लेकर घर-घर तैयारी की जा रही हैं। बताते चलें कि महिलाएं इस त्योहार को बड़े ही श्रद्धा भाव और धूमधाम के साथ मनाती हैं। चौठचंद्र यानि गांव की भाषा में चौड़चन पुजा को लेकर सुबह से ही लोगों के घरों में चहलकदमी बढ़ गई हैं‌। जहां घरों की सफाई से लेकर भक्तिमय का माहौल बना हुआ हैं। चौठचंद्र पुजा सूर्यास्त के समय घरों के आंगन या छत पर चांद को देखकर किया जाता हैं।

प्रसाद के रूप में कई तरह के बनाए जाते पकवान

इसके लिए सबसे पहले जहां चौठचंद्र की पुजा की जाती हैं, वहां कच्चे चावल को पानी में भिगोकर पहले ही रख दिया जाता हैं। जिसे पीसकर अरिपन (रंगोली) बनाई जाती हैं। फिर इसपर सिंदुर से हाथ का छाप देकर सुसज्जित कर दिया जाता हैं। इस पर पुजा-पाठ की सभी सामग्रियों को रखकर गणेश भगवान और चांद की पुजा की जाती हैं। बता दें कि चंद्रदेव को भोग लगाने के लिए कई तरह के विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें पुड़ी, खीर, गुझिया, मिठाई में खाजा-लड्डू, फल में सेव-संतरा-केला-खीरा-मक्का-शरीफा-नींबू और दही प्रसाद के रूप में होते हैं।

महिला व्रती निष्ठा के साथ मनाती पर्व

बता दें कि चौड़चन के दिन प्रसाद में चढ़ाने वाले दही को बड़े ही नियम और निष्ठा से नये मिट्टी के बर्तन में जमाकर भगवान को अर्पण किया जाता हैं। शंख जल से चौठचंद्र को अर्घ्य दिया जाता हैं, वहीं डलिया या सूप जिसमें फल और अन्य पकवान रखकर भरा जाता हैं उससे चौठचंद्र को अर्घ्य दिया जाता हैं। महिलाएं व्रती बड़ी ही निष्ठा के साथ यह पर्व करती हैं। वहीं व्रती महिलाएं द्वारा चौठचंद्र को अर्घ्य देने के बाद घर के अन्य सदस्य फल लेकर चंद्र दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता हैं कि मिथ्या कलंक से बचने के लिए हाथ में फल लेकर चंद्रमा का दर्शन किया जाता हैं।

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