मधुबनी जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर उच्चैठ गांव में सिद्धपीठ छिन्नमस्तिका भगवती विराजमान हैं। कालिदास की याद संजोए मिथिलांचल का सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान शक्ति की उपासना के लिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं। अतिप्राचीन, अनुपम दिव्यकाले शिलाखंड पर जो मूर्ति अंकित हैं, उनमें देवी चार भुजा वाली हैं जिनके बाएं दो हाथ में कमल पुष्प और गंदा तथा उसके नीचे बजरंग बली की मूर्ति, दाहिने दोनों हाथ में चक्र और त्रिशूल एवं उसके नीचे काली की मूर्ति फिर उसके नीचे मछली का चिन्ह वह बाएं पांव में चक्र का चिन्ह अंकित हैं। सिंह के ऊपर कमलाशन में विराजमान, लेकिन मस्तक कटा हुआ हैं तथा इनमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की सम्मिलित शक्ति होने का प्रमाण बहुसंख्यक हैं।
साल भर श्रद्धालुओं की भारी भीड़

थुम्हानी नदी एवं पवित्र सरोवर के किनारे अवस्थित प्रसिद्ध सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान रामायण काल के पहले से ही भक्तों पर दया करने वाली, चारों पुरुषार्थ अर्थात धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। सालों भर मां के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। मां उच्चैठ भगवती का दर्शन करने नेपाल, बिहार समेत देश के अलग-अलग राज्यों से भक्त पहुंच मां के चरणों में अपने माथा टेकते हैं और भगवती की पूजा-आराधना करते हैं।
उच्चैठ 17 वां शक्तिपीठ

लेकिन चैत्र, शारदीय और आषाढ़ नवरात्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती हैं। वैदिक मंत्रोच्चार एवं भक्तजनों की जयकारा से समूचा मंदिर परिसर सहित इलाका एक अलग तरह के आध्यात्मिक वातावरण में परिणत हो जाता हैं। मां उच्चैठ भगवती की पूजा हजारों-हजार वर्ष से यहां की जा रही हैं। भारत के कुल 51 शक्तिपीठों में उच्चैठ वासिनी 17वां शक्तिपीठ हैं। आदिकाल से ही मिथिला शक्ति उपासना में अग्रणी रहा हैं। मां उच्चैठ भगवती वह अवतार हैं जिसका प्रभाव तत्काल ही भक्तों पर पड़ता हैं।
मां के दरबार में मिलती दिव्य अनुभूति एवं अलौकिक शांति

नवरात्र के मौके पर भक्तों की विशेष भीड़ देखी जाती हैं। मां के दरबार में आने वाले भक्तों को दिव्य अनुभूति एवं अलौकिक शांति मिलती हैं। साथ ही सच्चे मन से आने वाले भक्त सिद्धपीठ की दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता हैं। मिथिलांचल का पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को धारण किए सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान में आशीर्वाद की बरसात होती हैं।